ख्वाब हो तुम मेरे :-

భార్గవి లహరి

ख्वाब में देखती हूँ तुम्हें
पर तुम कोई मनुष्य नहीं
ख्वाब में देखती हूँ तुम्हें
मगर स्पर्श नहीं कर सकती

हो सुंदर तुम मगर
देखने के लिए ये आँखें कम है
तुम वो हो जिसे देखना मुमकिन नहीं
पर वो ख्वाब ही क्या जहाँ impracticality ना हो

तुम मेरे प्यार हो
पर कोई इंसान नहीं
कई शताब्दियों से लोग पागल है
तुझे पाने के लिए मगर तुम मिले नहीं

तुम घर हो अरबों सितारों का
शायद मैं तुम्हारे एक कण में बस्ती हूँ
यहाँ तुम भगवान नहीं
तुम मेरे पहला प्यार
अनंत यानी अंतरिक्ष हो ।

Written by Bhargavi Lahari

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